“एडवोकेट मयंक गांधी द्वारा बहस किया गया मामला: पालघर कोर्ट ने पोक्सो मामले में आरोपी को जमानत दी, यौन इरादे की कमी का दिया हवाला”

“एडवोकेट मयंक गांधी द्वारा बहस किया गया मामला: पालघर कोर्ट ने पोक्सो मामले में आरोपी को जमानत दी, यौन इरादे की कमी का दिया हवाला”

पालघर, 17 जनवरी 2025: अतिरिक्त सत्र न्यायालय, पालघर ने 19 वर्षीय अकिल हनीफ शाह को जमानत दे दी, जो पोक्सो अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNSS) के तहत 13 वर्षीय लड़की के कथित उत्पीड़न के मामले में आरोपी था। अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि केवल पसंद करने की अभिव्यक्ति यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आती।

मामले की पृष्ठभूमि:
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी, जो पीड़िता के घर के पास एक सैलून में काम करता था, कथित रूप से उसे गलत इरादे से देखता था। उसने उसे रोका, हाथ पकड़ा, अपनी पसंद जाहिर की और दोस्ती का प्रस्ताव दिया। फिर उसने अपना फोन नंबर दिया, जिसे पीड़िता ने फाड़ दिया, तो आरोपी ने उसे कॉल करने या परिणाम भुगतने की धमकी दी।

अदालत की टिप्पणी:
एडवोकेट मयंक गांधी के नेतृत्व में बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी को विवाद के कारण झूठा फंसाया गया था और उसके कार्यों में कोई यौन इरादा नहीं था। अदालत ने पाया कि एफआईआर में उत्पीड़न की अवधि या प्रकृति को लेकर स्पष्ट विवरण नहीं था। बॉम्बे हाई कोर्ट के धनराज बाबूसिंग राठोड़ बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले के फैसले को आधार बनाते हुए अदालत ने दोहराया कि केवल किसी को पसंद करने की अभिव्यक्ति, बिना किसी यौन इरादे के, पोक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न नहीं मानी जा सकती।

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इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के संजय चंद्रा बनाम सीबीआई मामले का हवाला देते हुए, अदालत ने कहा कि केवल जनभावना के आधार पर जमानत नहीं रोकी जा सकती। इस मामले में आगामी महीनों में सुनवाई जारी रहेगी।