बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के अभ्यर्थियों के हंगामे और प्रदर्शन के मामले में Prashant Kishore और उनकी पार्टी जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष समेत 21 लोगों पर गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रशांत किशोर पर आरोप है कि उन्होंने अभ्यर्थियों को उकसाया और सड़क पर आकर हंगामा करने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप उनके खिलाफ कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। इस मामले में 600 से अधिक अज्ञात लोगों को भी अभियुक्त बनाया गया है।
पटना के जिलाधिकारी ने इस मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था का उल्लंघन और अव्यवस्था फैलाने के कारण यह कार्रवाई की गई है। मामले की जांच अभी जारी है, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
नामजद अभियुक्तों की सूची:
- मनोज भारती (अध्यक्ष, जन सुराज पार्टी)
- रह्मांशु मिश्रा (कोचिंग संचालक)
- निखिल मणि तिवारी
- सुभाष कुमार ठाकुर
- शुभम स्नेहिल
- प्रशांत किशोर (साथ में दो बाउंसर)
- आनंद मिश्रा
- राकेश कुमार मिश्रा
- विष्णु कुमार
- सुजीत कुमार (सुनामी कोचिंग)
सहित कुल 21 नामजद और 600–700 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
AISA का बिहार बंद का ऐलान
30 दिसंबर को BPSC री-एग्जाम के मुद्दे पर AISA ने बिहार बंद और चक्का जाम का ऐलान किया है। भाकपा ने भी इस आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। प्रशांत किशोर ने छात्रों को आह्वान करते हुए कहा कि वे खुद तय करें कि कब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के लिए मार्च करना है।
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गांधी मैदान में Prashant Kishore का बयान
गांधी मैदान में अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “एक दिन नारे लगाने से कुछ नहीं होगा। बिहार में छात्रों का जीवन कई सालों से बर्बाद हो रहा है। यह लड़ाई लंबे समय तक चलानी होगी और इसे अंजाम तक पहुंचाना होगा।”
उन्होंने किसान आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा, “किसान दिल्ली में सालों तक डेरा डालकर बैठे थे, तभी कुछ हुआ। बिहार में डोमिसाइल नीति में बदलाव, पेपर लीक, और नौकरियों में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए छात्रों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़नी होगी।”